भाषा का संबंध हमारी जड़ों से है। यह हमारी बुनियाद है। यह हमारे अस्तित्व से जुड़ा प्रश्न है। हम अपनी भाषाओं से भावनात्मक तौर पर जुड़े हैं। हमने यह पाया है की विकास के इस दौर में भाषाई तौर पर हमारा विकास नहीं हो पाया। हमारी क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा का विकास नहीं हो पा रहा है। हम अपनी भाषाओं के विकास, पहचान, नियुक्तियों में क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं की प्राथमिकता के लिए कृत्संकल्पित हैं। हम सभी भाषाओं, बोली का सम्मान करते हैं। हम यह चाहते हैं की हमारी भी बोली, भाषा को एक राष्ट्रीय पहचान मिले। हमारी भाषाओं के आधार पर भी बड़ी इंडस्ट्री हो। हम अपनी भाषाओं से दुनिया को परिचय करा सकें हम इसकी अभिलाषा रखते हैं।
हम समान अधिकारों को जन - जन तक पहुंचाना चाहते हैं। सामाजिक असमानता से निपटना हमारा पहला उद्देश्य है। संविधान की मूल भावना को जमीन पर उतारना हमारा संकल्प है। हम हर एक झारखंडी जनमानस के हक के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हमारे पुरखों ने जिस सुंदर झारखंड का सपना देखा था हम उसे साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हम अपने आदर्शों बाबा साहब भीम राव अंबेडकर, बिरसा मुंडा, सिद्धु – कान्हू, नीलांबर - पीतांबर, शहीद निर्मल महतो , स्व बिनोद बिहारी महतो, शेख भिखारी सहित सभी झारखंडी क्रांतिकारियों के सोच को जमीन पर उतारने के लिए संघर्षरत हैं।
हम हर एक झारखंडी जनमानस को विकास में बराबर का भागीदार बनाने के लिए संकल्पित हैं। समान शैक्षणिक, आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक विकास के लिए हम पिछड़े, दलित, आदिवासी, वंचित, शोषित, पीड़ित लोगों को विकास के सफर में प्राथमिकता के केंद्र में रखना चाहते हैं। झारखंडी अस्मिता और पहचान
झारखंड हमारे लिए सिर्फ एक माटी का टुकड़ा नहीं है। पूर्व में दक्षिण बिहार का यह इलाका हमेशा से शोषण का शिकार रहा है। 15 नवंबर 2000 को जो एक राज्य के तौर पर हमें पहचान मिली है वह वर्षों के संघर्ष के बाद हासिल हुआ है। आज हमारी पहचान एवं झारखंडी अस्मिता खतरे में है। हमारे ऊपर चारों तरफ से हमला है। हमारे ऊपर कई शक्तियों का अतिक्रमण है। हमारे जमीनों पर कॉरपोरेट ताकतों की नजर है। हमारे खनिजों के खनन के बदले हमें सिर्फ आंसू, गोली, लूट और फर्जी मुकदमे मिले हैं। यह सारे कारक हमारे विकास में बाधक बन रहे हैं। झारखंड के विकास में बाधक कारणों को हम जड़ से समाप्त करना चाहते हैं। हम विस्थापित लोगों के बेहतर पुनर्वास एवं मुआवजे के लिए संकल्पित हैं। सीधे तौर पर हम झारखंड के शोषण, दमन के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। इस लड़ाई की सफलता में ही हमारी अस्मिता सुरक्षित रहेगी।
हम युवाओं से अपनी राजनीतिक चेतना को झारखंड की सेवा में समर्पित करने का आह्वान करते हैं। हम यह चाहते हैं की युवा बौद्धिक तौर पर समृद्ध हो। सामाजिक, राजनैतिक विकास पर युवा चिंतन करे। नेतृत्व करने के लिए युवा आगे आए। हम अगले एक दशक में झारखंड को संवारने का संकल्प लेकर चल रहे हैं। इसमें हम युवाओं की भागीदारी पहली पंक्ति पर चाहते हैं। हम यह सोच रखते हैं की युवा आबादी वैचारिक तौर पर झारखंड को अपना योगदान दे। नए विचारों के साथ झारखंड को समृद्ध बनाने का संकल्प ले। युवा समाज को नेतृत्व प्रदान करे।